कखनो क सोचैत छी की , ओ कुन अभागल घडी रहय जे गाम छोडि क अहि पापी पेट आ रोजगार द्वारे गाम सं निकल क अहि पाथर के जंगल में आबय पडल । आब त लगभग बीस साल हुव जा रहल अईछ आ जेना जेना उम्र बीतल जा रहल अईछ तहिना तहिना हृदय के भीतर एक टा टीस बराबर टहकैत रहैत अईछ । कनी दिन पहिने अचानक खूब जोर मोन खराब भेल , एहेन जे तीनो जोजन सुझाय लागल । कहैत छै न , जे अप्पन लोक दुईए घडी में बड्ड मोन पडैत अईछ । एकटा पाबैन तिहार में आ दोसर कुनो दुख पीडा में । हमरा सब सन खानाबदोश भ चुकल दिल्लियाहा सब लेल त दुन्नू में भारी आफ़त , गाम घर लेल मोन अउंढ मारय लागैत अईछ । पिछला तीन बरिस में माय आ बाबूजी के गेलां सं जेना बुझायल की गाम पर पुरखा के गाडन नींवे उखैड गेल । मुदा पिछला किछु दिन में होसपीटल के ओछैना पर पडल हमरा ग्राम रोग बेसी उद्वेलित कय देलक । हम तखने निर्णय कय लेलौं जे , ठीक होइते सबसं पहिने गामे दिस जायब । अहुना डाक्टरवा सब सेहो कहलक जे कनी हवा पानि बदलय लेल जा सकैत छी । हम मोने मोन कहलौं जे , धू बुडबकहा सब , हवा पानि बदलय लेल नहिं कहू हवा पानि के लेल , एतय हवा के नाम पर धुंआं आ पानि के नाम पर मरलाहा पईन । त पहिल फ़ुर्सत में गाम दिस भागि निकललौं । पंद्रह दीन में ओतय जेना नबका जीवन जीलौं । खेल खलिहान , अंगना दलान, हाट बजार तीमन तरकारी , कदीमा भांटा , जमीरी कागजी , पोखैर झांखैर ,बियाह बरियाती , द्विरागमन , एकादसा द्वादशा भोज , स्कूल , पंचायत भवन , धनकटनी सं खेत पटौनी तक , घुमैत रहलौं , देखैत रहलौं । अनलौं हैं सब किछ समेटने । फ़िलहाल त अहां सब खाली फ़ोटो के झांकी देखल जाउ । ओतय जील एक एक टा क्षण सं भेंट करायब अहां सबके , अगिला पोस्ट श्रंखला में ....
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शनिवार, 8 दिसंबर 2012
शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011
धुर ई मोमो त दलपिट्ठी निकलल यौ
ई छी उसनल मोमो , चटनी के संग |
दिल्ली में अबय के बाद जे किछ चीज़ देख क झटका पर झटका लागल ओहि में आन चीज़ संगहि एकटा सामग्री हमेशा रहल । दिल्ली में भेटय बला खाद्य पदार्थ , नामे सब फ़ास्ट फ़ूड , त ओहिना हमरा सब एहेन सुलो मोसन के लेल त ओहिना ऊ सब एक टा अजगुते आइटम बनि जाइत अईछ । पहिल बेर , चाउमीन के प्लेट देख क चित्कार मारि कर कूदि उठलौं । ई की छी यौ ,बीच में बीच में पडल , बंधा कोभी आ शिमला मिर्च के कतरा सब जानल पहचानल छल ।मुदा ई मोटका डोरी सबके बीच में एकर ओकाइते की । खैर बाद में पता चलल कि , ई ताहि टाईम में कम्मे में बेसी भकोसय लेल एक टा कुल मिला ठीके ठाक आयटम छल । खैर , एकरा बाद बरगर , हॉट डॉग , कहू त गर्म कुकुर , नाम ने देखल जाऊ , आ किदैन कहादैन स पाला पडैतै रहल , अखनो पडि जाइत अईछ ।
किछ साल पहिलें स दैखैत छी त , सर्दी आ आब त गर्मियो में , ठेली लग मार धिया पुता , छौंडा ,बचिया सब , प्लेट भरि भरि क उसनल आइटम चटनी लगा लगा सुसुआ सुसुआ कर खा रहल अईछ ।नाम पता चलल मोमो । मोमो , इह , खैर जहन देखलौं त ई मोमो दू तरह सं देल जाय रहल छहल । एकटा उसनल ,जाहि द देखलियै त पता चलल कि भाप पर उसनल जाइत छै , आ एकटा तरल । दुन्नु संगे एकदम कउरू चटनी आ बुझायल जे बंधा कोभी के पात के उसनल पईन मसल्ला संगे , सूप जकां । एक दिन ई मोमो जी सेहो सामने आबि गेला । उसनल आ तरल दुनु । खेला पर देखलौं त ई मोमो जी के पेटो में उसनल बंधा कोभी भरल छल । गौर सं जहन अई मोमो के शकल देखलौं त चिंहुंक उठलौं । आ रे तोरि के ई त ..दल पिट्ठी अईछ यौ । मां बनबैत छल । चना दालि में अहिना आटा के पिट्ठी बना क उसीन क ओहि में देल जाइत छल ।
इ दलपिट्ठी के नबका वर्जन , आ बंद कोभी संगे सामन आयल मोमो खा क मोन मोमोआ जकां गेल । अहां की खेलौं हैं ....दलपिट्ठी कि मोमो यौ ???
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