बहुत दिन सं सोचैत छलौं जे एकटा मैथिली ब्लॉग शुरू करी । हालांकि हमर ग्राम्य जीवन एक दशको से कम रहल अईछ , मुदा ओतबे में हम मैथिल संस्कृति के बहुत करीब सं जानि लेलौं । मैथिली सं परिचय त शुरूए स छल आ आब जहन कि एतेक उम्र बीत गेल तहन हम ई कहि सकैत छी कि यदि मां अपना ज़िद पर ई नहिं करिताईथ कहिताइथ कि , हमर बच्चा सब तं मैथिलिए बाजत हमरा संगे त संभवत: आय जे जतेक अबैत अईछ नहिं अबितै । मां , चाची , मामी , मौसी सब संगे मैथिलीए में गप्प सब होईत रहल ।ई ब्लॉग कियैक ....जहन मोने मोन सोचलौं कि एतेक रास ब्लॉग त हम लिखिए रहल छी त मैथिली में सेहो एकटा कियैक नहिं । एहेन गप्प नहिं अईछ कि हम मैथिली में पहिने नहिं लिखलौं हैं अतंर्जाल पर , मैथिली एवं मिथिला पर बहुत दिन तक सक्रियता सं लिखलौं किंतु बहुत रास कम्युनिटि ब्लॉग सं एकेदिन अपन सद्स्यता समाप्त क लय के निर्णय में इहो आबि गेल । फ़ेर हमरा इहो लागल कि ओतय के शुद्ध , उच्च कोटि के मैथिली साहित्य में हमर पोस्ट मखमल में टाट जेकां लागैत छल हमरा अपने ।आब एतय हम जे मोन में आयत से लिखब ..कखनो ..खट्टर कका सं जुडल स्मृति , कखनो , गोनू झा के गप्प सब ..कखनो दरभंगा के काली मंदिर पहुंचब त कखनो राजनगर के काली मंदिर ..कखनो मधुबनी के कोतवाली चौक पर अहां हमरा पायब त कखनो कोठिया पट्टी टोल के दुर्गा पूजा में , कखनो झंझारपुर के रेलवे स्टेशन लग में त कखनो कुनौली बॉर्डर पर ..कहय के मतलब ई कि हम अपना संगे सब ठाम लय चलब अहां के ...। आ गामे कियैक दिल्ली , मुंबई में रहि रहल मैथिल सब के आजुक जीवन क्रियाकलाप , हुनका में आबि रहन बदलाव सब किछे अहां सब लेल एतय राखि देब । मैथिल के कठकोकाइंड सब सं ल क कठपिंगल सब के किस्सा सब किछुत आय शुरूआत क रहल छी बहुत पहिने लीखल एक टा मैथिली रचना सं ....देखल जाऊबाट जोहि जोहि ,मोन अईछ थाकल ,मुंह देखय लेल,मोन अछि लागल,बौआ, कहिया आयब गाम यौ ?बीतल बसंत पंचमी, आ,गेल होली कहिया नै ,सब पाबैइन अहाँ बिनु बीतल ,कुन कुन के लिय नाम यौ,बौआ, कहिया आयब गाम यौ ?सहरसा बला काका एला,दुमका बला आईब क गेला,कहिया आयत अहांके बेटा,सब पूछैत ऐछ, सब ठाम यौ,बौआ, कहिया आयब गाम यौ ?पाहिले लिखईत छलों चिट्ठी-पत्री,कखनो पठ्बैईत छलौं सनेश,आब त फ़ोन पर,क लैएत छी छोट सन राम राम यौ,बौवा, कहिया आयब गाम यौ ?मानल, परदेस बहुत कमेलौं,हमरो सब लेल खूब पठेलौं,मुदा माय-बाप के प्रेम सन पैघ,के द देत दाम यौ,बौवा, कहिया आयब गाम यौ ?कलम-गाछी , अंगना-दालान,बिनु अहाँ, सब सुनसान,गाछ मजरल, बाट ताके लगलौं,आब त पाईक रहल ऐछ आम यौ,बौवा, कहिया आयब गाम यौ ?आय मिथिलांचल के सब माँ , अपना बौआ सं यैह पूईछ रहल छैक...
मंगलवार, 9 नवंबर 2010
हमर पहिल मैथिल ब्लॉग : एकदम मैथिल एंगल सं ....देखल जाउ यौ भजार .....हईयैह ..बजला झाजी ..
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वाह क्या कहने .. बहुत सुंदर .. आपकी मेहनत रंग लाएगी !!
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा और सार्थक प्रयास है अपनी जड़ो को और मजबूत करने का ........ बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंबाह भैया.. एतेक निक मैथिली सुनल-पढल एकटा जुग भः गेल छला.. आनंदतिरेक भः गेल छि हम..
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया. हमरो मोन अछि, एक गोट मैथिली ब्लॉग शुरु करी. देखी, कहिया धरि भ' पबैत छै. आ हे, कमेंट लेल अतेक दुरूह राह नयि चुनियौ.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शिवम भाई ..साथ और स्नेह बनाए रखें
जवाब देंहटाएंप्रशांत बच्चा , बहुत नीक लागल अहांके प्रोत्साहन देलां सं
जवाब देंहटाएंविभा दीदी ,आब वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दयलौं हैं ...भूलवश ओ लागू छल ..आब अहां सबके आशीर्वाद सं अहि ब्लॉग पर हम किछु किछु कखनो कखनो लिखैत रहब
जवाब देंहटाएंबड़ नीक. मैथिली ब्लॉगक दुनिया मे अहांक स्वागत अछि. ओना अहां ब्लॉगिंग के छाएल छी. एहि ठाम अहां सेहो नीक करब से उम्मीद अछि. हमर शुभकामना अहांक संग अछि.
जवाब देंहटाएंइह भेल अहाँ सन गप आउर काज. मैथिली ब्लॉगक दुनिया मे अहांक स्वागत अछि
जवाब देंहटाएंहितेन्द्र भाय आ विनीत भाय ..अहां दुनु गोटे के धन्यवाद । अहां लोकनि पहिले सं माय मैथिली के सेवा कय रहल छियैन ..हम त बालक मात्र छी ...स्नेह बनेने रहब । प्रणाम
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