मंगलवार, 9 नवंबर 2010

हमर पहिल मैथिल ब्लॉग : एकदम मैथिल एंगल सं ....देखल जाउ यौ भजार .....हईयैह ..बजला झाजी ..





बहुत दिन सं सोचैत छलौं जे एकटा मैथिली ब्लॉग शुरू करी । हालांकि हमर ग्राम्य जीवन एक दशको से कम रहल अईछ , मुदा ओतबे में हम मैथिल संस्कृति के बहुत करीब सं जानि लेलौं । मैथिली सं परिचय त शुरूए स छल आ आब जहन कि एतेक उम्र बीत गेल तहन हम ई कहि सकैत छी कि यदि मां अपना ज़िद पर ई नहिं करिताईथ कहिताइथ कि , हमर बच्चा सब तं मैथिलिए बाजत हमरा संगे त संभवत: आय जे जतेक अबैत अईछ नहिं अबितै । मां , चाची , मामी , मौसी सब संगे मैथिलीए में गप्प सब होईत रहल ।


ई ब्लॉग कियैक ....जहन मोने मोन सोचलौं कि एतेक रास ब्लॉग त हम लिखिए रहल छी त मैथिली में सेहो एकटा कियैक नहिं । एहेन गप्प नहिं अईछ कि हम मैथिली में पहिने नहिं लिखलौं हैं अतंर्जाल पर , मैथिली एवं मिथिला पर बहुत दिन तक सक्रियता सं लिखलौं किंतु बहुत रास कम्युनिटि ब्लॉग सं एकेदिन अपन सद्स्यता समाप्त क लय के निर्णय में इहो आबि गेल । फ़ेर हमरा इहो लागल कि ओतय के शुद्ध , उच्च कोटि के मैथिली साहित्य में हमर पोस्ट मखमल में टाट जेकां लागैत छल हमरा अपने ।

आब एतय हम जे मोन में आयत से लिखब ..कखनो ..खट्टर कका सं जुडल स्मृति , कखनो , गोनू झा के गप्प सब ..कखनो दरभंगा के काली मंदिर पहुंचब त कखनो राजनगर के काली मंदिर ..कखनो मधुबनी के कोतवाली चौक पर अहां हमरा पायब त कखनो कोठिया पट्टी टोल के दुर्गा पूजा में , कखनो झंझारपुर के रेलवे स्टेशन लग में त कखनो कुनौली बॉर्डर पर ..कहय के मतलब ई कि हम अपना संगे सब ठाम लय चलब अहां के ...। आ गामे कियैक दिल्ली , मुंबई में रहि रहल मैथिल सब के आजुक जीवन क्रियाकलाप , हुनका में आबि रहन बदलाव सब किछे अहां सब लेल एतय राखि देब । मैथिल के कठकोकाइंड सब सं ल क कठपिंगल सब के किस्सा सब किछु

त आय शुरूआत क रहल छी बहुत पहिने लीखल एक टा मैथिली रचना सं ....

देखल जाऊ

बाट जोहि जोहि ,
मोन अईछ थाकल ,
मुंह देखय लेल,
मोन अछि लागल,
बौआ, कहिया आयब गाम यौ ?

बीतल बसंत पंचमी, आ,
गेल होली कहिया नै ,
सब पाबैइन अहाँ बिनु बीतल ,
कुन कुन के लिय नाम यौ,
बौआ, कहिया आयब गाम यौ ?

सहरसा बला काका एला,
दुमका बला आईब क गेला,
कहिया आयत अहांके बेटा,
सब पूछैत ऐछ, सब ठाम यौ,
बौआ, कहिया आयब गाम यौ ?

पाहिले लिखईत छलों चिट्ठी-पत्री,
कखनो पठ्बैईत छलौं सनेश,
आब त फ़ोन पर,
क लैएत छी छोट सन राम राम यौ,
बौवा, कहिया आयब गाम यौ ?

मानल, परदेस बहुत कमेलौं,
हमरो सब लेल खूब पठेलौं,
मुदा माय-बाप के प्रेम सन पैघ,
के द देत दाम यौ,
बौवा, कहिया आयब गाम यौ ?

कलम-गाछी , अंगना-दालान,
बिनु अहाँ, सब सुनसान,
गाछ मजरल, बाट ताके लगलौं,
आब त पाईक रहल ऐछ आम यौ,
बौवा, कहिया आयब गाम यौ ?

आय मिथिलांचल के सब माँ , अपना बौआ सं यैह पूईछ रहल छैक...

10 टिप्‍पणियां:

  1. वाह क्‍या कहने .. बहुत सुंदर .. आपकी मेहनत रंग लाएगी !!

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  2. बेहद उम्दा और सार्थक प्रयास है अपनी जड़ो को और मजबूत करने का ........ बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

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  3. बाह भैया.. एतेक निक मैथिली सुनल-पढल एकटा जुग भः गेल छला.. आनंदतिरेक भः गेल छि हम..

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  4. बहुत बढिया. हमरो मोन अछि, एक गोट मैथिली ब्लॉग शुरु करी. देखी, कहिया धरि भ' पबैत छै. आ हे, कमेंट लेल अतेक दुरूह राह नयि चुनियौ.

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  5. शुक्रिया शिवम भाई ..साथ और स्नेह बनाए रखें

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  6. प्रशांत बच्चा , बहुत नीक लागल अहांके प्रोत्साहन देलां सं

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  7. विभा दीदी ,आब वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दयलौं हैं ...भूलवश ओ लागू छल ..आब अहां सबके आशीर्वाद सं अहि ब्लॉग पर हम किछु किछु कखनो कखनो लिखैत रहब

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  8. बड़ नीक. मैथिली ब्लॉगक दुनिया मे अहांक स्वागत अछि. ओना अहां ब्लॉगिंग के छाएल छी. एहि ठाम अहां सेहो नीक करब से उम्मीद अछि. हमर शुभकामना अहांक संग अछि.

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  9. इह भेल अहाँ सन गप आउर काज. मैथिली ब्लॉगक दुनिया मे अहांक स्वागत अछि

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  10. हितेन्द्र भाय आ विनीत भाय ..अहां दुनु गोटे के धन्यवाद । अहां लोकनि पहिले सं माय मैथिली के सेवा कय रहल छियैन ..हम त बालक मात्र छी ...स्नेह बनेने रहब । प्रणाम

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