शनिवार, 8 दिसंबर 2012

गाम यौ गाम ....अहांके प्रणाम


कखनो क सोचैत छी की , ओ कुन अभागल घडी रहय जे गाम छोडि क अहि पापी पेट आ रोजगार द्वारे गाम सं निकल क अहि पाथर के जंगल में आबय पडल । आब त लगभग बीस साल हुव जा रहल अईछ आ जेना जेना उम्र बीतल जा रहल अईछ तहिना तहिना हृदय के भीतर एक टा टीस बराबर टहकैत रहैत अईछ । कनी दिन पहिने अचानक खूब जोर मोन खराब भेल , एहेन जे तीनो जोजन सुझाय लागल । कहैत छै न , जे अप्पन लोक दुईए घडी में बड्ड मोन पडैत अईछ । एकटा पाबैन तिहार में आ दोसर कुनो दुख पीडा में । हमरा सब सन खानाबदोश भ चुकल दिल्लियाहा सब लेल त दुन्नू में भारी आफ़त , गाम घर लेल मोन अउंढ मारय लागैत अईछ । पिछला तीन बरिस में माय आ बाबूजी के गेलां सं जेना बुझायल की गाम पर पुरखा के गाडन नींवे उखैड गेल । मुदा पिछला किछु दिन में होसपीटल के ओछैना पर पडल हमरा ग्राम रोग बेसी उद्वेलित कय देलक । हम तखने निर्णय कय लेलौं जे , ठीक होइते सबसं पहिने गामे दिस जायब । अहुना डाक्टरवा सब सेहो कहलक जे कनी हवा पानि बदलय लेल जा सकैत छी । हम मोने मोन कहलौं जे , धू बुडबकहा सब , हवा पानि बदलय लेल नहिं कहू हवा पानि के लेल , एतय हवा के नाम पर धुंआं आ पानि के नाम पर मरलाहा पईन । त पहिल फ़ुर्सत में गाम दिस भागि निकललौं । पंद्रह दीन में ओतय जेना नबका जीवन जीलौं । खेल खलिहान , अंगना दलान, हाट बजार तीमन तरकारी , कदीमा भांटा , जमीरी कागजी , पोखैर झांखैर ,बियाह बरियाती , द्विरागमन , एकादसा द्वादशा भोज , स्कूल , पंचायत भवन , धनकटनी सं खेत पटौनी तक , घुमैत रहलौं , देखैत रहलौं । अनलौं हैं सब किछ समेटने । फ़िलहाल त अहां सब खाली फ़ोटो के झांकी देखल जाउ । ओतय जील एक एक टा क्षण सं भेंट करायब अहां सबके , अगिला पोस्ट श्रंखला में ....




























3 टिप्‍पणियां:

  1. गोबर स नीपल अँगना में सुन्दर अरिपन पारल,
    साँझक खन तुलसी चौरा में जतय दिया बारल
    भोरक स्वागत हो सोहर स आ सांझ पराती गीत
    धरती पर स्वर्ग देखब त,चलू मिथिला यौ मीत

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    1. सुनील भाय ,
      बहुत सुंदर उदगार , मोन के छू गेल पंक्ति सब । आभार स्वीकार कायल जाउ

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  2. सच्चो में "हईयैह बजलखिन झाजी". बड्ड दिन के बाद बजलखिन. :)

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