गाम सं टल्हू कक्का फ़ोन पर चिचियैत पुछला ,: "हौ ! ई टाका कौडी दं की सुनैत छियै सब दिन , कहैत छै , आय आर खसलै रुपैय्या के दाम । मार तोरि के , रुपैय्यो के दाम होइत छै की , आ कतय खैस पडैत छै सब दिन , तोरा सब के भेटैंत छ कि नहिं खसलाहा रुपैय्या । गाम में खईसतै कहियो त हमहूं सब खूब लुईट पीट अईनतौं । तोरा त बुझले छ आंधड बिहैर में आम के गाछी में हम केना आम लुईटय में सबके पछुआ दईत छलियै । गाम में त कतौ एक्को टा एकन्नीओ नय खसल पडल देखलियै हौ । दोसर ठाम त बाढि पानि में सेहो किछु दहा भसिया कं आयल हेतय , एतय त रौदी जान मारने छ । "
नैं यौ कक्का , रुपैय्या के दाम माने कि ओकर बजार मोल सेहो अंतरराष्ट्रीय बज़ार में , जाहि में अमरीका के डालर आ इंग्लैंड के पौंड के दाम के अनुसारे तुलना कायल जाइत छै । अहां नै बुझबै ई सब ई सब अर्थशास्त्र कहैत छै यौ कक्का ," हम जवाब देलियैन ।
"हं हं, अल्हुआ अर्थशास्त्र छै हौ कहक कि अनर्थशास्त्र छै । जई प्याज टमाटर के कियौ नईं पुछैत छल सेहो सुनैत छियै जे एतेक महग भ गेल जे आब ओकर ट्रक लुटल जाइत छै सुनलौं हैं । ठीके छै , जहब बेलगोभने सब हाकिम बनि गेल अईछ त यैह सब न हैत । तहि पर सं सुनलौं हैं जे सरकार फ़ेर सं कुनो योजना चालू कय रहल छै हौ । एतय त सरकारी योजना तहू में खाय पीबय बला सुनिये क बच्चा सब चित्कार मारि रहल अईछ कहैत अईछ अईसं नीक मांडे भात । "
" हं हौ , सुनलियै यै जे , सोना चानी खूब कुदि रहल छै । ऐं हौ , जहन रुपैया सार ओंघडैल जा रहल छै त सोना चानी केना कुदि क महग भ रहल छै हौ ? भ जाय दहक , जहन पाइए नय रहतै ककरो लग तक महग भ जै आ कि सस्ता भ जै , की फ़र्क पडतै । हं हं फ़ेर कुनो अर्थशास्त्र अनर्थशास्त्र के चक्कर हेतय " छोड ई सब गप्प ।
मैथिली में लिखल अहांक व्यंग टल्हू कक्का बहुत निक लागल।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आ आभार उज्जवल अहां के :)
हटाएंकामल लिखय छी भाय!
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